गोवर्धन ड्रेन में जलकुंभी का जाल, स्वास्थ्य सिंचाई व पुल पर संकट मंडराया
फरह/बाँके शर्मा। फरह क्षेत्र के पींगरी गांव से होकर गुजरने वाले गोवर्धन ड्रेन में इन दिनों जलकुंभी का अत्याधिक फैलाव चिंता का विषय बन गया है। नाले की सतह पर पूरी तरह फैली जलकुंभी न केवल जल प्रवाह को अवरुद्ध कर रही है, बल्कि ड्रेन पर बने पुल की संरचना को भी खतरे में डाल रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जलकुंभी के चलते पानी का बहाव धीमा हो गया है। जिससे नाले में गंदगी, बदबू और मच्छरों का जमाव बढ़ गया है। जिससे जलजनित रोगों मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, जलकुंभी एक ऐसा जलीय पौधा है जो बहुत तेजी से फैलता है और जल स्रोतों की ऑक्सीजन को कम कर देता है। इससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में आ जाता है और सिंचाई भी प्रभावित होती है।सबसे बड़ी चिंता यह है कि नाले पर बना पुल, जो गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ता है, जलजमाव और जड़ जमाते जलकुंभी के दबाव से कमजोर हो सकता है। बरसात के मौसम में यदि जलस्तर बढ़ा, तो पुल के नीचे बहाव रुकने से गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द ड्रेन की सफाई और जलकुंभी हटाने की मांग की है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो जनजीवन के साथ-साथ गांव की कनेक्टिविटी पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। स्थानीय निवासी बोले विष्णु,हरिपाल, रौतान बघेल, लक्ष्मीकांत पाराशर, रौतान सिंह, दिनेश तरकर हर साल जलकुंभी की वजह से नाले की सफाई नहीं हो पाती। इस बार तो स्थिति और भी बिगड़ गई है। सिंचाई संकट के साथ पशुओं के पानी पीने का संकट बन गया है और पुल पर चलना भी खतरे से खाली नहीं है।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि जलकुंभी की सफाई हेतु अभियान चलाया जाए और ड्रेन पर बने पुल की तत्काल इंजीनियरिंग जांच कराई जाए।